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इन लोगों को नहीं मिलेगा जमीन का पट्टा, निरस्त होंगे आवेदन, जानें पूरा मामला


जबलपुर। मप्र धारणाधिकार नियम के तहत भूमि का पट्टा पाने के लिए जिले में 200 से ज्यादा आवेदनों को निरस्त करने की कार्यवाही की जा रही है। जिला प्रशासन ने पाया कि जिस भूमि के लिए पट्टा चाहा गया, वह शासकीय न होकर निजी और अन्य प्रयोजनों के लिए आरक्षित है। कुछ आवेदक तो कॉलोनी में रह रहे हैं, उन्होंने भी पट्टा मांग लिया। इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में आवेदन प्रशासन को प्राप्त हुए। जिले में 200 से ज्यादा आवेदन निरस्त, अभी तक 9 हजार आवेदन किसी ने कॉलोनी, कई ने उद्योग विभाग की जमीन पर मांगा पट्टा जिले में नगरीय क्षेत्र में शासकीय भूमि पर निवास करने वाले लोगों को धारणाधिकार नियम के तहत पट्टा दिया जाना है। इसके लिए अभी तक 9 हजार से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं। बताया जाता है कि धारणाधिकार के नियम नगरीय क्षेत्रों की शासकीय भूखंडों पर लागू होते हैं निजी भूमि पर नहीं। ऐसे में जो भूखंड किसी निजी व्यक्ति के नाम पर दर्ज हैं, ऐसे में वहां निवासरत व्यक्यिों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा। इसी प्रकार लोक प्रयोजन के लिए आरक्षित भूमि पर भी पट्टे नहीं दिए जा सकेंगे। जो प्रकरण अपात्र हैं अब उन्हें कलेक्टर के पास अग्रिम कार्यवाही के लिए भेजा जा रहा है। 2014 के पहले निवास जरूरी नगरीय क्षेत्रों भूमिहीन व्यक्ति को उक्त नियम के तहत पट्टा प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। इसमें एक शर्त यह है कि वह व्यक्ति उस शासकीय भ्ूामि पर 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले से निर्विवाद रूप से निवासरत है। ऐसे व्यक्तियों से भूभाटक एवं प्रब्याज आदि लेकर उसे 30 वर्ष के लिए पट्टा दिया जाएगा। इसमें कुछ प्रावधान किए गए हैं जिनमें पट्टा मिलना मुश्किल होगा। जैसे कि शासकीय परियोजना या सार्वजनिक प्रयोजन के लिए आरक्षित भूखंड। नगरीय निकाय में प्रभावशील विकास योजना में उल्लेखित भूमि उपयोग से भिन्न उपयोग के लिए, नदी, नाला या जल संग्रहण क्षेत्र के रूप में अभिलिखित हो, संहिता की धारा 233-क के तहत अधीन आरक्षित, नगरीय क्षेत्रों में पार्क, खेल के मैदान, सडक़, गली या अन्य सामुदायिक उपयोगी हो। ऐसे और प्रावधान हैं जिसमें पट्टा पाना मुश्किल होगा। मप्र धारणाधिकार के नियमों के तहत ही पात्र व्यक्तियों को पट्टा दिए जाने का प्रावधान है। कई आवेदन ऐसे पाए गए हैं जो कि निजी भूमि से संबंधित हैं या उस जगह कोई सोसायटी बनी हुई है। ऐसे आवेदन हुए निरस्त - महगवां में 20 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि के लिए आवेदन किया। यहां पाया गया कि यह भूमि राजीव गांधी को-ऑपरेटिव सोसायटी के नाम पर दर्ज है। यह निजी भूमि है। - करमेता में 0.55 हेक्टेयर भूमि के लिए आवेदन में यह बात सामने आई कि यह भूमि ऑपरेटिव सोसायटी के नाम पर दर्ज है। - ग्राम अधारताल में 1.82 हेक्टेयर में कुछ भाग पर पट्टा पाने आवेदन आया। जांच में पता चला कि यह भूमि उद्योग विभाग टीएनसीपी मद में पीएसपी मद में दर्ज पाई गई।


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