ट्रंप–ज़ेलेंस्की मुलाकात: क्यों बढ़ी यूरोप की चिंता?
- Devansh Bharat 24x7

- 19 अग॰
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ट्रंप–ज़ेलेंस्की मुलाकात: क्यों बढ़ी यूरोप की चिंता?

प्रस्तावना
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की की हालिया मुलाकात ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। इस बैठक से पहले सात यूरोपीय नेता वॉशिंगटन पहुँचे, ताकि ट्रंप को रूस के साथ जल्दबाज़ी में शांति समझौता करने से रोका जा सके। यूरोप को आशंका है कि ऐसा कोई भी कदम यूक्रेन की संप्रभुता और यूरोप की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
ट्रंप की रणनीति: त्वरित शांति या राजनीतिक उपलब्धि?
ट्रंप बार-बार संकेत दे चुके हैं कि वे एक "तेज़ शांति समझौता" चाहते हैं—even अगर इसके लिए यूक्रेन को अपनी ज़मीन गंवानी पड़े। आलोचकों का कहना है कि उनकी प्राथमिकता न तो यूक्रेन की सुरक्षा है और न ही यूरोप की स्थिरता। बल्कि, उनका ध्यान अपनी छवि को वैश्विक स्तर पर मज़बूत करने और एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज करने पर है।
यूरोप क्यों है परेशान?
ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ सीधे संवाद शुरू किया और यहां तक कि उन्हें अलास्का आमंत्रित कर लिया। इस कदम से यूरोपीय संघ को महसूस हुआ कि उन्हें बातचीत की मेज़ से अलग किया जा रहा है।यूरोपीय देशों के सामने अब दो मुश्किल विकल्प हैं:
यदि वे ट्रंप का कड़ा विरोध करते हैं तो उनके साथ संबंध और बिगड़ सकते हैं।
यदि वे चुप रहते हैं तो अमेरिका और रूस यूक्रेन के भविष्य का फ़ैसला अकेले कर सकते हैं।
इसीलिए यूरोप ने संतुलन साधने की रणनीति चुनी—ट्रंप की तारीफ़ करना, उनकी कूटनीतिक क्षमता की सराहना करना और किसी बड़े टकराव से बचना।
यूरोपीय नेताओं के उद्देश्य
वॉशिंगटन पहुँचे यूरोपीय नेताओं—उर्सुला वॉन डेर लेयेन, कीर स्टार्मर, एलेक्ज़ेंडर स्टब, इमैनुएल मैक्रों, जियोर्जिया मेलोनी, फ़्रेडरिक मर्ज़ और मार्क रुटे—का मुख्य एजेंडा था:
ट्रंप और ज़ेलेंस्की की पिछली मुलाकात जैसी विफलता से बचना।
ज़ेलेंस्की पर क्षेत्र छोड़ने का दबाव कम करना।
अमेरिका को यूक्रेन के लिए सुरक्षा गारंटी देने के लिए राज़ी करना।
और सबसे अहम, युद्धविराम (ceasefire) की दिशा में कदम बढ़ाना।
लेकिन बैठक का नतीजा बहुत सीमित रहा—न युद्धविराम पर सहमति बनी और न ही यूक्रेन को ठोस सुरक्षा गारंटी मिली।
निष्कर्ष: असमंजस में यूरोप, असुरक्षित यूक्रेन
इस मुलाकात से यह साफ़ हो गया कि यूक्रेन की स्थिति अब भी बेहद नाज़ुक है।
ट्रंप के लिए शांति समझौते का मतलब है कि यूक्रेन को क्रीमिया और डोनबास जैसे क्षेत्र छोड़ने पड़ सकते हैं।
यूरोप, अपनी बड़ी जनसंख्या और मज़बूत अर्थव्यवस्था के बावजूद, एक स्वतंत्र कूटनीतिक स्टैंड लेने में असमर्थ दिखाई दे रहा है।
ट्रंप–ज़ेलेंस्की मुलाकात
फिलहाल, यूरोप को केवल इंतज़ार और संतुलन साधने की रणनीति पर भरोसा करना पड़ रहा है—जबकि यूक्रेन की संप्रभुता और सुरक्षा अब भी अधर में लटकी हुई है।
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