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पर्वतारोही भावना ने 6,961 मीटर ऊंची माउंट एकांकागुआ की चोटी पर की चढ़ाई, रचा इतिहास


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"अगर मैं कर सकती हूं, तो हर बेटी कर सकती है," सभी महिलाओं को भावना ने दिया संदेश

बता दें कि यह उनकी दूसरी कोशिश थी। 2019 में वे 6,500 मीटर तक पहुंची थीं, लेकिन खराब मौसम के कारण वापस लौटना पड़ा था।

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भोपाल । भारत की बेटी भावना डेहरिया ने दक्षिण अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट एकांकागुआ (6,961 मीटर) पर चढ़कर एक नया इतिहास रचा दिया है। उन्होंने यह सफलता 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना की 10वीं सालगिरह पर हासिल की।

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सफलता की कहानी

भावना ने 22 जनवरी 2025 को 6,961 मीटर ऊंची चोटी पर चढ़ाई की। यह उतना आसान नहीं था, इस चढ़ाई को दो हफ्ते लग गए, बेहद ठंडे मौसम और मुश्किल रास्तों को पार करने के बाद कई पड़ावों से होते हुए भावना चोटी तक पहुंच पाईं।


यह भावना की दुनिया के सात महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों में से पांचवीं सफलता रही। इसके पहले भावना माउंट एवरेस्ट, फिर किलिमंजारो, कोसिउस्को और एलब्रुस पर चढ़ाई कर चुकी हैं।


बता दें कि भावना 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' की ब्रांड एंबेसडर हैं। साथ ही उन्होंने अपनी 3 साल की बेटी सिद्धि के साथ एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंचने का रिकॉर्ड भी बनाया है।

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कैसे शुरु हुई माउंट एकांकागुआ की यात्रा?

भावना की एकांकागुआ की यात्रा 11 जनवरी 2025 को होर्कोनेस वैली के रास्ते से शुरू हुई। यह एकांकागुआ पर्वत पर चढ़ने का सीधा रास्ता है। एकांकागुआ नेशनल पार्क से शुरू करके, भावना और उनकी टीम पहले कॉन्फ्लुएंसिया बेस कैंप पहुंची। वहां से प्लाजा फ्रांसिया (4,300 मीटर) तक जाकर वे मौसम के अनुसार होने की तैयारी करने लगे।


अगले कुछ दिनों में टीम ने कई पड़ावों को पार किया- प्लाजा डी मूलस बेस कैंप (4,300 मीटर), कैंप निडो डी कॉन्डोरेस (5,365 मीटर), और कैंप कोलेरा (6,000 मीटर)।


रास्ते में भावना और उनकी टीम को बेहद खराब मौसम का सामना करना पड़ा। तापमान -13°C से -27°C तक गिर गया। खराब मौसम के कारण उन्हें बेस कैंप में दो दिन और कैंप-2 में एक दिन ज्यादा रुकना पड़ा। आखिरकार 22 जनवरी को, कैनालेटा सेक्शन की चुनौतियों को पार करते हुए भावना ने एकांकागुआ की चोटी पर कामयाबी हासिल की।

बता दें कि यह उनकी दूसरी कोशिश थी। 2019 में वे 6,500 मीटर तक पहुंची थीं, लेकिन खराब मौसम के कारण वापस लौटना पड़ा था। इस बार उन्होंने अपनी पहली कोशिश की कमी को पूरा किया और इतिहास रच दिया।

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जेपी ग्रुप और दिलीप बिल्डकॉन ने इस सफर में मदद की

इस अभियान को जेपी ग्रुप और दिलीप बिल्डकॉन लिमिटेड ने अपनी मदद से संभव बनाया। इन कंपनियों ने भावना को पूरा सहयोग दिया, ताकि वे दुनिया के पर्वतारोहण के क्षेत्र में भारत का नाम रोशन कर सकें।

"अगर मैं कर सकती हूं, तो हर बेटी कर सकती है"

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भावना का कहना है कि "मैं सभी बेटियों को कहना चाहती हूं कि आपको अपने जीवन में हौसला रखना चाहिए, इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। अगर मैं कर सकती हूं, तो हर बेटी कर सकती है।"


भावना ने कई वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाए हैं। वे अपनी कहानी से दूसरों को प्रेरणा देती हैं और साबित करती हैं कि मन में ठान लें तो कोई भी लक्ष्य पा सकते हैं।

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सोशल मीडिया पर इन्होने दी बधाई

• डॉ. मोहन यादव (मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री),

• शिवराज सिंह चौहान (केंद्रीय मंत्री, कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास, भारत सरकार),

• राजेन्द्र शुक्ल (उप मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश),

• करण सिंह वर्मा (राजस्व मंत्री, मध्यप्रदेश), प्रहलाद सिंह पटेल (पंचायत, ग्रामीण विकास एवं श्रम मंत्री, मध्यप्रदेश), विश्वास सारंग (सहकारिता, खेल और युवा कल्याण मंत्री, मध्यप्रदेश),

• निर्मला भूरिया (महिला एवं बाल विकास मंत्री, मध्यप्रदेश),

• नागर सिंह चौहान (अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री, मध्यप्रदेश),

• आलोक शर्मा (सांसद, लोकसभा - भोपाल; प्रदेश उपाध्यक्ष, भाजपा मध्यप्रदेश),

• रमेश मेंदोला (विधायक, इंदौर-2 विधानसभा),

• रामेश्वर शर्मा (विधायक, हुजूर विधानसभा, भोपाल),

• भगवानदास सबनानी (विधायक, भोपाल दक्षिण-पश्चिम विधानसभा; प्रदेश महामंत्री, भाजपा मध्यप्रदेश)।

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