crossorigin="anonymous">
top of page

पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व, संतान से संबंधित कष्ट से मिलती है मुक्ति


ree

पौष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को एकादशी के रूप में मनाया जाता है। पद्मपुराण के अनुसार श्री कृष्ण ने इस व्रत का वर्णन युधिष्ठिर से किया था। चराचर प्राणियों सहित त्रिलोक में सब इससे बढ़कर दूसरी कोई तिथि नहीं है जो संतान कष्ट से संबंधित दुखों को हर सके । इस दिन भगवान नारायण की पूजा की जाती है। सुबह स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने के पश्चात श्रीहरि का ध्यान करना चाहिए । सबसे पहले धूप दीप आदि से भगवान नारायण के अर्चना की जाती है इसके बाद फल, फूल, नारियल, पान, सुपारी, लोंग, वेयर, आमला आदि व्यक्ति अपनी सामर्थ्य अनुसार भगवान नारायण को अर्पित करते हैं, और पूरे दिन निराहार रहकर संध्या समय में कथा आदि सुनकर संतान गोपाल स्त्रोत का पाठ करने के पश्चात प्रहार किया जाता है।

टिप्पणियां

5 स्टार में से 0 रेटिंग दी गई।
अभी तक कोई रेटिंग नहीं

रेटिंग जोड़ें
bottom of page