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यातायात व्यवस्था पर उठे सवाल : निजी जेसीबी से वाहन जब्ती, आम जनता परेशा


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जबलपुर। यातायात सुधारने के नाम पर जबलपुर में चल रही कार्यवाही पर अब सवाल खड़े होने लगे हैं। हाल ही में भावरताल गार्डन क्षेत्र से एक आम नागरिक की गाड़ी को जबरन उठाकर ले जाने की घटना ने इस पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता और वैधता को कठघरे में खड़ा कर दिया है। यातायात पुलिस के कथित जिम्मेदार अपनी जेब भरने के लिए जनता की जेब पर खुलेआम डाका डालते दिख रहे हैं। आम जनता के बीच इस कार्यवाही को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है। लोगों का कहना है कि जिस सड़क से वाहन को उठाया गया, वहां आसपास दर्जनों की संख्या में चार-पहिया और दो पहिया वाहन सड़क पर खड़े किए गए थे, परंतु इन सबको छोड़कर इकलौते वाहन को टारगेट बनाना पूरी कार्यवाही पर सवालिया निशान की तरह है।

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पीड़ित वाहन चालक आर.के. मिश्रा अपने परिजनों के साथ दंत चिकित्सक के पास इलाज के लिए आए थे, जब अचानक 'UP32 LN 8270' नंबर की जेसीबी वाहन — जिस पर 'यातायात पुलिस जबलपुर' लिखा था — मौके पर पहुंची और बिना किसी वैध कारण के उनकी स्विफ्ट कार (MP 20 CH 6219) को उठाने लगी।


वीडियो में कैद मनमानी

घटना का वीडियो खुद वाहन मालिक द्वारा बनाया गया है जिसमें यह स्पष्ट दिख रहा है कि वाहन ठीक ढंग से सड़क किनारे खड़ा था, किसी प्रकार के यातायात अवरोध की स्थिति नहीं थी। बावजूद इसके, यातायात विभाग के कर्मियों ने निजी जेसीबी की मदद से गाड़ी को उठाया। स्थानीय नागरिकों ने इस कार्यवाही का विरोध किया, लेकिन मौके पर मौजूद टीम ने किसी की नहीं सुनी और अभद्रता भी की।


मल्टीलेवल पार्किंग का नया खेल?

स्थानीय निवासियों और व्यापारियों का कहना है कि अब शहर में एक नया खेल शुरू हो गया है — मल्टीलेवल पार्किंग माफिया का। कथित तौर पर कुछ निजी ठेकेदारों द्वारा वाहन जब्ती के नाम पर लोगों की गाड़ियाँ जबरदस्ती उठाकर मल्टीलेवल पार्किंग में भेजी जा रही हैं, जहाँ से गाड़ी छुड़वाने के नाम पर ₹300 से ₹500 तक वसूला जा रहा है।

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यातायात नियमों का उल्लंघन या नई कमाई की स्कीम?

सवाल यह है कि —


जिस जेसीबी से गाड़ियां उठाई जा रही हैं, वह UP 32 नंबर (लखनऊ रजिस्ट्रेशन) की है। यह जबलपुर यातायात विभाग के अधीन है या किसी निजी ठेकेदार की?


क्या यातायात विभाग ने गाड़ियों की जब्ती और पार्किंग का ठेका किसी निजी एजेंसी को दे रखा है?


क्या किसी भी आम नागरिक की गाड़ी को, बिना स्पष्ट नोटिस या वैध नियम के, उठाया जा सकता है?


और क्या अस्पतालों और क्लिनिकों के सामने जहां लोग इलाज के लिए आते हैं, वहां से गाड़ियों को उठाना मानवीय और कानूनी दृष्टि से उचित है?



जनता परेशान, प्रशासन चुप

यह पूरा मामला केवल एक गाड़ी उठाने का नहीं, बल्कि एक गहरी भ्रष्ट और अव्यवस्थित प्रणाली की ओर इशारा करता है। जहां शहर के ट्रैफिक सिग्नल खराब हैं, चौराहों पर ट्रैफिक कंट्रोल के कोई उपाय नहीं, वहां ऐसी कार्यवाही केवल आम जनता को परेशान करने का जरिया बन रही है।



जनता की मांग:


वाहन उठाने की कार्रवाई पूरी तरह पारदर्शी और नियम आधारित हो।


अस्पतालों और आवश्यक सेवाओं के आसपास संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया जाए।


मल्टीलेवल पार्किंग को अनिवार्य करने के बजाय विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया जाए।


निजी नंबर की जेसीबी से की जा रही कार्रवाई की जांच हो — क्या ये अवैध हैं?



जबलपुर की जनता अब जानना चाहती है — क्या यह यातायात सुधार है या कमाई का नया जरिया?

प्रशासन से साफ जवाब और उचित कार्यवाही की उम्मीद की जा रही हl

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